बेहतरीन लघु उद्योग लगाएं, थोड़े निवेश में ज्यादा आमदनी, लघु उद्योग, कम निवेश में लाखों की कमाई दे
लघु उद्योग एक औद्योगिक उपक्रम है जिसमें संयंत्र एवं मशीनरी की निवेश सीमा 5 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होती। तथापि यह निवेश सीमा सरकार द्वारा समय-समय पर परिवर्तित की जाती है। उद्योग में काम करने वाले व्यक्तियों की संख्या और प्रयुक्त इलैक्ट्रिक पावर आदि का कोई बन्धन नहीं है।
लघु उद्योग एवं कुटीर उद्योग का भारतीय अर्थव्यवस्था में अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। प्राचीन काल से ही भारत के लघु व कुटीर उद्योगों में उत्तम गुणवत्ता वाली वस्तुओं का उत्पादन होता रहा है।
केन्द्र तथा राज्य सरकारों की ओर से लघु-उद्योग विकास हेतु विशेष सुविधाएँ दी जा रही हैं, जिनसे नया उद्योग शुरू करने वालों को सरकारी औपचारिकताएँ पूरी करने में मदद मिलती है।
किसी भी उद्योग के सपफलतापूर्वक संचालन के लिए आवश्यक होता है। योग्यता, कुशल कर्मचारी, पर्याप्त साधन तथा संगठन जिसके अंतर्गत व्यवसाय की गतिविधियां संचालित की जाती है।
स्वामित्व के आधार पर व्यवसाय को निम्न वर्गों में बांटा गया हैः
1 एकल स्वामित्व
2 भागीदारी
3 सीमित दायित्व वाली कम्पनी
4 सहकारी संस्थाएं
5 विशेष विक्रय अधिकार
लघु उद्योग इकाइयां इस पंजीकरण के माध्यम से जिन लाभों के लिए अधिकृत हो जाती हैं, वे निम्नलिखित हैं:
1. इकाइयों को सुरक्षा धन देने से छुटकारा मिल जाता है।
2. इन उद्योगों को बड़े उद्योगों की तुलना में 15 प्रतिशत मूल्य प्रमुखता मिल जाती है। इसके कारण सरकारी खरीद में लघु उद्योगों से माल खरीदने को प्रमुखता मिलती है।
3. राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम लघु इकाइयों को निःशुल्क टेंडर नोटिस भेज सकता है।
4. निगम की सिफारिश पर कोई भी बैंक आसानी से ऋण स्वीकृत कर लेता है।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय भारत सरकार की एक शाखा है जो भारत में नियमों, विनियमों और सूक्ष्म, छोटे और मध्यम उद्यमों से संबंधित कानूनों के निर्माण और प्रशासन के लिए शीर्ष निकाय है। यह भारत में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों की नीति बनाने संवर्धन, विकास तथा संरक्षण के लिये एक नोडल मंत्रालय है। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम देश के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 8 प्रतिशत, विनिर्माण उत्पादन में 45 प्रतिशत और निर्यात में 40 प्रतिशत योगदान करते हैं। ये कृषि के बाद रोजगार का सबसे बड़ा हिस्सा प्रदान करते हैं।
मंत्रालय अन्य मंत्रालयों विभागों के साथ सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र की ओर से नीति समर्थन के कार्यों का निष्पादन भी करता है।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय नवीनीकरण और उद्यम को प्रोत्साहित और सम्मानित करता है। देश के विकास में सहायता करने के लिए सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय कई क्षेत्रीय कार्यालयों और तकनीकी संस्थानों के माध्यम से राज्य सरकारों, उद्योग संघों, बैंकों और अन्य हितधारकों के साथ घनिष्ठ समन्वय में काम करते हैं।
अपने उद्योग को लगाने का स्थान बहुत ही सोच-समझकर तय करना चाहिए। उद्योग लगाने के स्थान के पास में ही कच्चे-पक्के माल को लाने ले जाने की सुविधा होनी चाहिए।
लघु उद्योग को मूल क्षेत्रा के रूप में माना जाता है। अतः लघु उद्योग स्थापित करने के लिए लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होती है। केवल सरकारी संस्थाओं से मिलने वाली सुविधाएँ पाने के लिए सबसे पहले उद्योग का पंजीकरण, ;रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होता है। बहुत सी ऐसी सरकारी संस्थाएं हैं जिनकी स्थापना एवं कार्य तथा उद्देश्य केवल लघु उद्योग के विकास के लिए उद्यमियों को जानकारी देना, सुविधाएँ प्रदान करना आदि हैं। नये उद्यमियों को किस कार्य के लिए कहाँ किस विभाग में सम्पर्क करना पड़ेगा, कौन-कौन से ऐसे संगठन हैं, जो कई प्रकार की सूचनाएँ, सुविधाएँ और टैक्नीकल जानकारी देने के लिए कार्यरत हैं।
लघु उद्योग विकास संगठन
इस संगठन को लघु उद्योगों के विकास के लिए सन् 1954 में स्थापित किया गया था। विकास संगठन का प्रमुख विकास आयुक्त होता है। लघु उद्योग की विकास संबंधी नीतियां तैयार करने में यह संगठन महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अलावा संगठन विभिन्न प्रदेशों के औद्योगिक विकास एवं उनसे संबंधित संस्थाओं के बीच तालमेल बैठाने का काम करता है। इस संगठन के अंतर्गत 60 से अधिक कार्यालय तथा 21 स्वायत्त निकाय सम्मिलित है। इस स्वायत्त निकाय में प्रशिक्षण संस्थान और परियोजना एवं प्रक्रिया विकास केन्द्र शामिल हैं।
लघु उद्योग विकास संगठन द्वारा लघु उद्योगों को प्रदान की गई विभिन्न सेवाएं:
1. परियोजना और उत्पाद प्रोफाइल तैयार करना
2. निर्यात के लिए सहायता प्रदान करना
3. तकनीकी और प्रबंधकीय परामर्श प्रदान करना
4. क्षेत्रीय कार्यालय केंद्र और राज्य सरकारों के बीच प्रभावी लिंक के रूप में भी कार्य करते हैं।
5. लघु उद्योगों के रूप में लगाए जा सकने योग्य उद्योगों के संबंध में जानकारी प्रदान करना
6. औद्योगिक विकास तथा आधुनिकीकरण की सहायता देना
7. तकनीकी जानकारी देने के साथ-साथ आर्थिक सुविधाएं जुटाना
8. प्रबंधन एवं तकनीकी संबंधी प्रशिक्षण उपलब्ध कराना
9. लघु उद्योगों में निर्मित होने वाले उत्पादों की निर्माण प्रक्रिया, परामर्श एवं रिपोर्ट तैयार करने के संबंध में जानकारी उपलब्ध करवाना
10. कारखाना स्थापित करने हेतु भूमि एवं भवन के लिए सहयोग करना
11. सरकारी विपणन में लघु उद्योगों द्वारा भाग लेने के बारे में जानकारी उपलब्ध कराना
12. उद्योग से संबंधित मशीनों की खरीददारी तथा अन्य सुविधाएं प्राप्त करने के लिए सलाह देना।
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